Policy 2025 पर जनता का फूटा गुस्सा, सब्सिडी का झुनझुना, पर सुविधा से सन्नाटा!

जैसे-जैसे पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं, वैसे-वैसे इलेक्ट्रिक व्हीकल का क्रेज़ बढ़ता जा रहा है। लेकिन महाराष्ट्र में Electric Vehicle Policy 2025 लागू होने के बाद भी EV मालिकों के सामने बड़ी चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं। एक तरफ सरकार EV को बढ़ावा देने का दावा कर रही है, तो दूसरी तरफ ज़मीन पर चार्जिंग स्टेशन और तकनीकी ढांचा अब भी अधूरा नज़र आता है।

Electric Vehicle Policy 2025 की घोषणाएं और सच्चाई

महाराष्ट्र सरकार ने Electric Vehicle Policy 2025 के तहत कई बड़े ऐलान किए थे। इसमें EV खरीदने वालों को सब्सिडी देने से लेकर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने तक के वादे किए गए थे। लेकिन हकीकत यह है कि ज़्यादातर वादे अभी सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित हैं। शहरों में कहीं-कहीं चार्जिंग पॉइंट्स लगे भी हैं, तो वो या तो चालू नहीं हैं या फिर बहुत कम हैं।

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Electric Vehicle Policy 2025 के तहत सरकार का लक्ष्य था कि 2025 तक राज्य में हर चार में से एक गाड़ी इलेक्ट्रिक हो। लेकिन मौजूदा हालात देखकर लगता है कि यह लक्ष्य अभी दूर की कौड़ी है। ग्राहक EV खरीदने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें चार्जिंग और सर्विस की सुविधा नहीं मिल रही।

EV चार्जिंग स्टेशन की भारी कमी

सबसे बड़ी दिक्कत EV चार्जिंग स्टेशन की कमी है। खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में तो हालात और भी खराब हैं। वहां EV मालिकों को अपनी गाड़ी चार्ज करने के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता है या फिर मीलों दूर जाना पड़ता है।

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Maharashtra Electric Vehicle Policy 2025 में यह कहा गया था कि हर 3 किलोमीटर पर एक चार्जिंग स्टेशन होगा, लेकिन सच्चाई यह है कि बड़े शहरों में भी यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। मुंबई, पुणे जैसे शहरों में EV की संख्या बढ़ रही है, लेकिन चार्जिंग प्वाइंट की गिनती अभी भी उंगलियों पर गिनी जा सकती है।

तकनीकी समस्याएं और ग्राहकों की परेशानी

Electric Vehicle को लेकर टेक्नोलॉजी की समझ आम ग्राहकों में अभी भी अधूरी है। महाराष्ट्र में कई इलाकों में अभी भी लोग EV के रखरखाव और चलाने के तरीकों से पूरी तरह वाकिफ नहीं हैं। सरकार ने जहां इलेक्ट्रिक स्कूटर और कार पर सब्सिडी का लालच दिया, वहीं टेक्निकल हेल्प या सर्विस नेटवर्क पर ध्यान नहीं दिया।

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कई बार ग्राहकों को EV खरीदने के बाद बैटरी चार्ज में समस्या आती है। कहीं वोल्टेज फ्लक्चुएशन होता है, तो कहीं चार्जिंग स्लो होती है। ऊपर से कंपनियों की तरफ से सर्विस देने में भी देर हो रही है, जिससे लोग नाराज़ हो रहे हैं।

Electric Vehicle Policy 2025 को ज़मीन पर लाने की ज़रूरत

Maharashtra Electric Vehicle Policy 2025 को लेकर सरकार जितनी उत्साही है, उतनी ही सुस्ती जमीनी अमल में है। लोगों का भरोसा जीतने के लिए ज़रूरी है कि हर इलाके में सही चार्जिंग नेटवर्क तैयार किया जाए और कंपनियों को सख्ती से सर्विस देने के निर्देश दिए जाएं।

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आज की तारीख में TVS iQube, Ola S1, Ather 450X जैसी गाड़ियाँ मार्केट में धूम मचा रही हैं। लेकिन महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में अगर इन्हें टिकाऊ और भरोसेमंद बनाना है, तो इंफ्रास्ट्रक्चर का मज़बूत होना अनिवार्य है।

Electric Vehicle Policy 2025 में जिन वादों की बात की गई थी – जैसे कि रजिस्ट्रेशन फीस माफ करना, EV के लिए अलग पार्किंग ज़ोन बनाना और टैक्स छूट देना – उनमें से कई चीजें अब तक लागू नहीं हुई हैं। इससे ग्राहक भ्रमित हो रहे हैं और EV की बिक्री में बाधा आ रही है।

ग्रामीण इलाकों में EV को लेकर उठ रहे सवाल

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महाराष्ट्र के गांवों और कस्बों में लोग अब भी डीजल बाइक और पेट्रोल स्कूटर पर ही निर्भर हैं। वजह साफ है – न तो वहां Electric Vehicle के लिए चार्जिंग सुविधा है और न ही कोई जानकारी। कई लोगों को EV के फायदे तो समझ आ गए हैं, लेकिन वे डरते हैं कि अगर रास्ते में चार्ज खत्म हो गया तो क्या होगा।

Electric Vehicle Policy 2025 में सरकार ने ग्रामीण इलाकों पर भी ज़ोर देने की बात कही थी। लेकिन आज भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है जिससे गांवों में EV की पहुँच आसान हो।

अब कुछ तड़का भी सुन लीजिए

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महाराष्ट्र में EV का जादू तो चल निकला है, लेकिन जोश में होश खोना ठीक नहीं। अगर Electric Vehicle Policy 2025 सिर्फ भाषणों तक सिमट गई, तो ग्राहक भी दोबारा डीजल-पेट्रोल की ओर भागेंगे। चार्जिंग स्टेशन का जुगराफिया सुधारिए, तकनीक की बोली आम जनता को सिखाइए, तभी ये नीली-हरी नंबर प्लेट वाली गाड़ियाँ सड़कों पर छा पाएंगी। वरना, इलेक्ट्रिक का सपना भी धीरे-धीरे चार्ज खत्म होते मोबाइल जैसा हो जाएगा – चमकता बहुत है, टिकता नहीं।

यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक किसी भी नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।

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