बाजार में कारें तो बहुत हैं, लेकिन जब जेब 50 हजार रुपये महीने की कमाई की हो, तो हर फैसला सोच-समझकर लेना पड़ता है। नई कार खरीदने का सपना सबका होता है, मगर सैलरी, खर्च और EMI का जोड़-घटाव बहुत मायने रखता है। ऐसे में गाड़ी खरीदने से पहले बजट, लोन, डाउन पेमेंट और चलाने के खर्च को सही से समझना ज़रूरी है।
कार बजट तय करने से पहले जानिए सैलरी का सही संतुलन
अगर आपकी सैलरी 50,000 रुपये प्रति माह है, तो कार खरीदने से पहले अपने हर महीने के फिक्स खर्च जैसे किराया, घर का राशन, बच्चों की स्कूल फीस, बिजली-पानी का बिल और दूसरी ज़रूरी चीज़ों को हिसाब में लेना होगा। एक्सपर्ट्स की मानें तो EMI आपकी सैलरी का 15-20% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। यानी 50 हजार की सैलरी पर आपकी मासिक EMI 7,500 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे आप बिना दबाव के कार चला पाएंगे और बाकी ज़रूरतें भी आराम से पूरी होंगी।
EMI और डाउन पेमेंट में कैसे रखें संतुलन
अगर आप नई कार खरीदना चाहते हैं, तो लोन लेते समय यह ध्यान देना चाहिए कि डाउन पेमेंट जितनी ज्यादा होगी, EMI उतनी कम बनेगी। उदाहरण के तौर पर, अगर आप 6 लाख की कोई कार लेना चाहते हैं और 1.5 लाख डाउन पेमेंट दे सकते हैं, तो बाकी रकम पर बैंक से लोन मिलेगा। 5 साल के लिए अगर लोन लें और ब्याज दर लगभग 9% मानें, तो आपकी EMI करीब 9-10 हजार रुपये के आस-पास होगी, जो आपकी सैलरी के अनुपात में थोड़ी ज्यादा हो सकती है। इसलिए कोशिश करें कि डाउन पेमेंट बढ़ाएं या थोड़ी कम कीमत वाली कार चुनें।
कम बजट में कौन सी कार है बेस्ट ऑप्शन
कम सैलरी वाले लोगों के लिए Maruti Suzuki, Renault और Hyundai जैसी कंपनियों की कुछ कारें किफायती और भरोसेमंद विकल्प हो सकती हैं। Maruti Alto K10, Renault Kwid, Maruti Celerio, और Hyundai Grand i10 जैसी गाड़ियां सस्ती हैं, माइलेज अच्छा देती हैं और मेंटेनेंस का खर्च भी कम है। खासकर Maruti की कारें छोटे शहरों और गांवों में भी आसानी से सर्विस हो जाती हैं, जिससे जेब पर ज़्यादा बोझ नहीं पड़ता।
पेट्रोल, CNG या इलेक्ट्रिक – कौन सी कार है समझदारी की डील
अगर आप महीने में ज्यादा ड्राइव करते हैं, तो CNG कार एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है। Maruti WagonR CNG या Tata Tiago CNG जैसे मॉडल्स सस्ते में भी मिलते हैं और माइलेज भी 25-30 किलोमीटर प्रति किलो तक दे सकते हैं। पेट्रोल कारें भी बजट में आती हैं, लेकिन माइलेज थोड़ा कम होता है। अगर आप लंबा निवेश करना चाहते हैं और चार्जिंग की सुविधा पास है, तो Tata Tiago EV जैसी छोटी इलेक्ट्रिक कारें भी एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं। हालांकि शुरुआती कीमत थोड़ी ज्यादा होगी, लेकिन चलाने का खर्च बहुत कम है।
पुरानी कार भी हो सकती है समझदारी का सौदा
नई कारों की कीमत अगर आपके बजट से बाहर जा रही है, तो सेकंड हैंड कार लेना भी एक अच्छा फैसला हो सकता है। अच्छी कंडीशन में 3-4 साल पुरानी कारें जैसे Maruti Swift, Hyundai i20 या Tata Tiago मार्केट में 3 से 5 लाख रुपये तक मिल जाती हैं। पुरानी कार खरीदते समय इंजन की स्थिति, सर्विस रिकॉर्ड और दस्तावेज़ अच्छे से जांच लें। इससे आपको EMI का झंझट भी कम होगा और अच्छी गाड़ी भी मिल सकती है।
कार खरीदने के बाद खर्चों का रखें पूरा ध्यान
गाड़ी लेना सिर्फ EMI भरने तक की बात नहीं होती। हर महीने पेट्रोल, सर्विसिंग, इंश्योरेंस और पार्किंग जैसे खर्च भी आते हैं। अगर आपकी सैलरी 50 हजार है, तो हर महीने लगभग 4-6 हजार रुपये तक सिर्फ कार के मेंटेनेंस और फ्यूल में जा सकते हैं। इसलिए EMI के साथ इन खर्चों को भी शुरू से प्लान करें। वरना बाद में यह बोझ बढ़ सकता है।
बजट से लेकर ब्रांड तक – सब सोच समझ के चुनो
जब बात आती है पहली कार की, तो सिर्फ दिखावे या स्टेटस के लिए गाड़ी मत खरीदिए। अपनी सैलरी, खर्च और ज़रूरतों के हिसाब से ऐसी कार चुनें जो सस्ती भी हो, टिकाऊ भी और आपको आगे चलकर परेशान न करे। Maruti, Hyundai और Tata जैसी कंपनियां पहली बार गाड़ी खरीदने वालों के लिए हमेशा भरोसेमंद रही हैं। इनकी कारें सस्ती पड़ती हैं, रीसेल वैल्यू भी अच्छी होती है और सर्विस सेंटर गांव-कस्बों तक मौजूद होते हैं।
पहली गाड़ी लेनी है? दिमाग नहीं, दिल से नहीं – समझदारी से सोचो!
अगर आपका सपना है कि अपनी कमाई से पहली कार खरीदें, तो पहले थोड़ा सब्र और बहुत सारी समझदारी से काम लें। EMI, डाउन पेमेंट, ब्रांड, फ्यूल टाइप और महीने के खर्च – सब कुछ मिलाकर फैसला करें। याद रखिए, कार खरीदना एक खुशी की बात है, लेकिन खर्च संभाल में रहे तभी मज़ा आएगा। तो अब अगली बार जब आप कहें – “गाड़ी लेनी है,” तो जवाब हो – “हां भाई, सोच-समझ के!” क्योंकि पहली गाड़ी सिर्फ मशीन नहीं होती, वो आपके सपनों की पहली सवारी होती है।
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