AAIB की रिपोर्ट में सामने आई तकनीकी और मानवीय भूल, संसद में रिपोर्ट पढ़ी गई… हिला देगा ये खुलासा!

जिस हादसे ने देश को हिला दिया था, उसकी असली वजह अब सामने आई है। साल 2020 में Air India का एक विमान लैंडिंग के वक्त हादसे का शिकार हुआ था, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। अब इस मामले में केंद्रीय नागर विमानन मंत्री किन्जरापु राम मोहन नायडू ने संसद में एक अहम बयान दिया है। उनका कहना है कि इस विमान हादसे की जड़ में पायलट की गलती और खराब मौसम जिम्मेदार थे। Air India Plane Crash, AAIB Report और मंत्री के इस ताजा बयान को लेकर देशभर में फिर से चर्चा तेज हो गई है।

Air India Plane Crash की असली वजह आई सामने

साल 2020 में Air India Express की फ्लाइट IX-1344 दुबई से कोझिकोड आ रही थी। विमान जब रनवे पर लैंड कर रहा था, तभी वह रनवे से फिसल गया और घाटी में जा गिरा। इस हादसे में 21 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें दोनों पायलट्स भी शामिल थे। अब Air India Plane Crash की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है, जिसे एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने तैयार किया है।

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AAIB की रिपोर्ट के अनुसार, हादसे की बड़ी वजह पायलट की लैंडिंग के दौरान की गई गलतियां थीं। रिपोर्ट बताती है कि विमान ने जिस रनवे पर लैंड किया, वहां मौसम बेहद खराब था और विजिबिलिटी भी कम थी। साथ ही पायलट ने रनवे की मिड पोजीशन से विमान को नीचे उतारने की कोशिश की, जो टेक्निकल गाइडलाइंस के बिल्कुल खिलाफ है।

पायलट की चूक और मौसम बना बड़ा कारण

AAIB Report के मुताबिक, विमान की लैंडिंग पूरी तरह “अनस्टेबल” थी। पायलट ने ऑटो-पायलट सिस्टम को बंद किए बिना रनवे पर उतरने की कोशिश की, जिससे लैंडिंग के दौरान ब्रेकिंग सिस्टम ने सही से काम नहीं किया। इसके अलावा विमान को तेज बारिश और स्लिपरी रनवे ने और मुश्किल बना दिया।

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रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पायलट को रनवे की स्थिति का अंदाजा था, लेकिन फिर भी उन्होंने लैंडिंग का फैसला लिया। यही नहीं, विमान की रफ्तार भी ज्यादा थी और रनवे पर पानी भरा हुआ था, जिससे टायरों का ट्रैक्शन कम हो गया। ये सभी कारण मिलकर Air India Plane Crash को एक बड़े हादसे में बदल गए।

संसद में मंत्री ने रखी साफ बात

केंद्रीय नागर विमानन मंत्री किन्जरापु राम मोहन नायडू ने संसद में जवाब देते हुए साफ तौर पर कहा कि Air India Plane Crash पूरी तरह से मानव चूक (ह्यूमन एरर) और मौसम की खराबी की वजह से हुआ। उन्होंने बताया कि AAIB की जांच एकदम निष्पक्ष और तकनीकी मापदंडों पर आधारित रही है।

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मंत्री ने यह भी जोड़ा कि हादसे के बाद DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) ने कई नई सुरक्षा गाइडलाइंस जारी की हैं ताकि भविष्य में ऐसा हादसा दोबारा न हो। खासकर मानसून में लैंडिंग करते वक्त विशेष सावधानी बरतने की हिदायत दी गई है।

Air India और सरकार की सख्ती

इस Air India Plane Crash के बाद एयरलाइंस इंडस्ट्री में काफी बदलाव देखने को मिले। DGCA ने कई पायलट्स को रिट्रेनिंग पर भेजा और रनवे मॉनिटरिंग को भी तेज किया गया। सरकार ने सभी एयरपोर्ट्स को मॉनसून सीजन से पहले रनवे की ड्रेनेज और फ्रीक्वेंसी मॉनिटरिंग के आदेश दिए हैं।

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मंत्री ने जानकारी दी कि Air India Express ने अपने अंदरूनी सुरक्षा नियमों में भी बड़े बदलाव किए हैं। अब किसी भी खराब मौसम में लैंडिंग का निर्णय अंतिम नहीं होता, बल्कि कॉकपिट क्रू के बीच आपसी सहमति जरूरी होती है। इससे यह तय किया जा सके कि भविष्य में कोई Air India Plane Crash जैसी घटना दोहराई न जाए।

रिपोर्ट के बाद फिर गरमाई बहस

जैसे ही संसद में मंत्री का बयान सामने आया और AAIB Report का खुलासा हुआ, सोशल मीडिया से लेकर विपक्ष तक ने इस मुद्दे को गर्मा दिया। कुछ लोग इसे पायलट की एक बड़ी लापरवाही मान रहे हैं, तो वहीं कुछ इसे सिस्टम की खामी बता रहे हैं।

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कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि पायलट पर पूरी जिम्मेदारी डालना सही नहीं होगा क्योंकि एयर ट्रैफिक कंट्रोल और ग्राउंड हैंडलिंग टीम की भूमिका भी जांच के दायरे में आनी चाहिए थी। हालांकि AAIB Report ने अपने निष्कर्षों में पायलट की ट्रेनिंग और तत्कालीन निर्णय को प्रमुख कारण बताया है।

हवा में भरोसा दोबारा पाने की चुनौती

अब जब Air India Plane Crash की असल वजह सामने आ चुकी है, तो सरकार और एयरलाइंस दोनों पर लोगों का भरोसा फिर से कायम करना बड़ी चुनौती बन गया है। हवाई सफर करने वाले यात्रियों में इस हादसे का असर लंबे समय तक रहेगा, खासकर छोटे शहरों और कस्बों के लोग अब ज्यादा सतर्कता बरतने लगे हैं।

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सवाल ये नहीं कि हादसा क्यों हुआ, सवाल ये है कि अब सरकार और एयरलाइंस कितनी गंभीरता से इसे सबक मानती है। टेक्नोलॉजी बढ़ी है, लेकिन अगर इंसानी फैसले लापरवाह रहे तो फिर कोई भी Air India Plane Crash जैसी दुर्घटना को नहीं रोक सकता।

Disclaimer:
यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक किसी नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।

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