अब ऐप से टैक्सी बुक करने का मतलब सिर्फ उबर या ओला नहीं रहेगा। देश में पहली बार सहकारिता मॉडल पर आधारित एक नई टैक्सी सेवा की शुरुआत होने जा रही है, जिसका नाम है ‘सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव’। इस अनोखी पहल को देश के आठ प्रमुख सहकारी संगठनों का समर्थन मिला है और इसके ज़रिए ना केवल यात्रियों को एक बेहतर विकल्प मिलने वाला है, बल्कि ड्राइवरों को भी सामाजिक सुरक्षा और मुनाफे में हिस्सेदारी का भरोसा मिलेगा।
इस नई सहकारी टैक्सी सेवा की सबसे खास बात यह है कि इसे सिर्फ कमाई का जरिया नहीं, बल्कि एक जनहितकारी प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है। किराया वाजिब होगा, कोई सर्ज चार्ज नहीं लगेगा, और जो कमाई होगी, उसका बड़ा हिस्सा ड्राइवरों के बीच बांटा जाएगा।
सहकार टैक्सी ऐप से बुकिंग, किराया भी रहेगा सीधा-सपाट
सहकार टैक्सी एक ऐप-बेस्ड सेवा होगी, जिसमें ग्राहक दोपहिया, रिक्शा, टैक्सी और चार पहिया वाहनों की बुकिंग ऑनलाइन कर सकेंगे। यह वही सिस्टम होगा जो अभी उबर और ओला में मिलता है, लेकिन यहां किराया पूरी तरह पारदर्शी होगा और सर्ज प्राइसिंग जैसे झंझट नहीं होंगे। सहकार टैक्सी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें सेवा भावना के साथ सामाजिक न्याय की भी सोच जुड़ी है।
इस सेवा को दिसंबर 2025 से दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में शुरू करने की तैयारी है। इसके बाद इसे पूरे देश में धीरे-धीरे लागू किया जाएगा।
सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव को संभालेंगे आठ बड़े संगठन
इस सेवा को प्रमोट कर रहे हैं देश के आठ जाने-माने सहकारी संगठन – NCDC, Amul, NAFED, NABARD, IFFCO, KRIBHCO, NDDB और NCEL। सभी प्रमोटर्स ने पहले चरण में ₹10 करोड़ तक की आर्थिक भागीदारी जताई है। यह साझा ताकत ही सहकार टैक्सी को निजी कंपनियों की टक्कर देने में मदद करेगी।
इस पूरे सिस्टम की निगरानी के लिए एक अंतरिम बोर्ड बनाया गया है, जिसकी अध्यक्षता कर रहे हैं NCDC के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर रोहित गुप्ता। इसके अन्य सदस्य भी देश के बड़े सहकारी संगठनों से हैं, जिनमें NDDB, NAFED, NABARD, IFFCO और KRIBHCO के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
ड्राइवरों के लिए मुनाफा और सुरक्षा, सहकारिता का असली रंग
जहां उबर और ओला जैसे प्लेटफॉर्म पर ड्राइवर सिर्फ सर्विस प्रोवाइडर होते हैं, वहीं सहकार टैक्सी में ड्राइवर भी मालिक होंगे। छह महीने की सेवा के बाद हर ड्राइवर ₹100 के पांच शेयर खरीदकर सहकारी समिति का सदस्य बन सकेगा। इससे वह न सिर्फ आमदनी में हिस्सेदार होगा बल्कि निर्णय प्रक्रिया में भी उसका हक होगा।
ड्राइवरों को भविष्य में सामाजिक सुरक्षा, बीमा और अन्य लाभों से भी जोड़ा जाएगा। यही नहीं, किराया नीति में भी उनकी भागीदारी रहेगी, जिससे वे खुलकर अपने सुझाव दे सकेंगे और बिना दबाव के काम कर पाएंगे।
सहकार टैक्सी बन सकती है गेमचेंजर ऐप-बेस्ड टैक्सी सेवा
भारत जैसे देश में जहां ऐप आधारित टैक्सी सेवा में लोगों को कभी-कभी सर्ज चार्ज, कैंसिलेशन फीस और ड्राइवर की मनमानी से परेशानी होती है, वहां सहकार टैक्सी एक भरोसेमंद और पारदर्शी विकल्प बन सकती है। यह सेवा यात्रियों को न सिर्फ सस्ता और आरामदायक सफर देगी, बल्कि ड्राइवरों को भी आत्मसम्मान और लाभ का अनुभव कराएगी।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह पहले ही टैक्सी और ट्रांसपोर्ट जैसे सेक्टर्स में सहकारी संस्थाओं के विस्तार की बात कर चुके हैं। सहकार टैक्सी उसी सोच का नतीजा है। इसका मकसद सिर्फ कारोबार नहीं, बल्कि सहकारिता की भावना से एक बेहतर व्यवस्था खड़ी करना है।
उबर-ओला वालों, अब संभल जाओ! सहकार टैक्सी लेकर आ रही है सवारी का नया जमाना
अब वो दिन दूर नहीं जब सवारी बुक करने से पहले लोग सिर्फ ऐप ही नहीं, उसके पीछे की सोच भी देखेंगे। उबर और ओला की बढ़ती कीमतों और ड्राइवरों की हालत पर चिंता जताने वाले अब सहकार टैक्सी को एक ठोस विकल्प के रूप में देख सकते हैं।
गाँव-कस्बों से लेकर शहरों तक, यह सेवा उन यात्रियों और ड्राइवरों की ज़िंदगी को आसान बना सकती है जो अब तक सिर्फ प्राइवेट कंपनियों के सिस्टम में फंसे हुए थे। सहकार टैक्सी एक ऐसा मॉडल है, जिसमें कमाई भी है और इज़्ज़त भी।
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