अगर आपने कभी सोचा है कि Toyota और Lexus की कारों में इतना फर्क क्यों दिखता है, जब कंपनी एक ही है, तो अब जवाब आपके पास होगा। दोनों ब्रांड एक ही छत के नीचे काम करते हैं, लेकिन जो बात सबसे ज्यादा चौंकाने वाली है वो ये कि इन दोनों की गाड़ियों में कई बार एक जैसा इंजन होता है। हां, आपने सही पढ़ा – Toyota और Lexus की कई कारों के इंजन एक ही फैक्ट्री में बनते हैं। अब सवाल उठता है, जब इंजन एक है, तो Lexus की कीमत ज्यादा क्यों होती है?
Toyota और Lexus का रिश्ता सिर्फ नाम का नहीं, इंजन का भी है
Toyota दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक है और Lexus उसी का लग्ज़री ब्रांड है। Toyota ने 1989 में Lexus को प्रीमियम कार सेगमेंट में पेश किया था, ताकि वो BMW और Mercedes-Benz जैसी कंपनियों को टक्कर दे सके। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि Lexus और Toyota की कुछ गाड़ियाँ जैसे Lexus ES और Toyota Camry या फिर Lexus GX और Toyota Land Cruiser Prado – इन सभी में एक जैसा इंजन देखने को मिलता है।
इन इंजनों का निर्माण Toyota की ही Tahara और Shimoyama फैक्ट्री में होता है। ये वो जगहें हैं जहां हाई-परफॉर्मेंस, हाई-क्वालिटी इंजन बनाए जाते हैं। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि Toyota और Lexus की कारें दिल से एक जैसी हैं, लेकिन ऊपर से अलग-अलग रूप लिए हुए हैं।
इंजन एक, लेकिन ट्यूनिंग और फील में फर्क
अब अगर किसी को लगे कि दोनों गाड़ियों में सिर्फ बैज का फर्क है, तो बात अधूरी रह जाएगी। असली जादू तब शुरू होता है जब बात आती है इंजन ट्यूनिंग की। Toyota के इंजन को डेली ड्राइविंग और फ्यूल एफिशिएंसी के हिसाब से ट्यून किया जाता है, जबकि Lexus अपने इंजन को स्मूथ, साइलेंट और पॉवरफुल परफॉर्मेंस के लिए तैयार करता है।
उदाहरण के लिए, Toyota Camry और Lexus ES दोनों में 2.5-लीटर हाइब्रिड इंजन मिलता है। लेकिन Lexus ES को इस तरह से ट्यून किया गया है कि उसकी राइड क्वालिटी और साउंड इंसुलेशन कहीं बेहतर हो। यही वजह है कि जब आप Lexus चलाते हैं, तो आपको साउंड कम और फील ज्यादा मिलता है।
Lexus में मिलता है लग्जरी का तड़का
Toyota और Lexus की कारों में असली फर्क उनके इंटीरियर और टेक्नोलॉजी में दिखाई देता है। Lexus की गाड़ियाँ सिर्फ ट्रांसपोर्ट का जरिया नहीं होतीं, वो एक एक्सपीरियंस होती हैं। चाहे सीट्स की क्वालिटी हो, डैशबोर्ड का डिजाइन, या फिर कनेक्टेड फीचर्स – हर चीज़ में लक्ज़री झलकती है।
वहीं Toyota की गाड़ियाँ थोड़ी सिंपल और ज्यादा प्रैक्टिकल होती हैं। इसका मतलब ये नहीं कि Toyota में फीचर्स नहीं होते, बल्कि Lexus में वो सब कुछ और ज्यादा रिफाइन तरीके से मिलता है। यही वजह है कि Lexus की गाड़ियाँ महंगी होती हैं, क्योंकि उसमें सिर्फ इंजन नहीं, ब्रांड एक्सपीरियंस और परफेक्शन भी बेचा जाता है।
क्वालिटी कंट्रोल में भी है Lexus की सख्ती
इंजनों के निर्माण की बात करें तो Lexus और Toyota दोनों ही गाड़ियों को स्ट्रिक्ट क्वालिटी चेक से गुजरना पड़ता है। लेकिन Lexus की मैन्युफैक्चरिंग में हर एक पार्ट को माइक्रो लेवल पर टेस्ट किया जाता है। वहीं Lexus कारों को असेंबल करने वाले टेक्नीशियन्स को Takumi कहा जाता है – ये जापान के वो मास्टर होते हैं जो परफेक्शन के लिए जाने जाते हैं।
Toyota की फैक्ट्रीज़ में भी जबर्दस्त कवालिटी चेक होता है, लेकिन Lexus के स्तर की बारीकी हर जगह नहीं दिखती। यही वजह है कि Lexus को चलाने पर एक खास फील आती है, जैसे कोई चीज़ बिना कहे ही आपकी जरूरत समझ जाए।
Toyota या Lexus – किसे चुनें?
अब सवाल यही उठता है कि अगर इंजन एक जैसा है, तो हमें Toyota ही क्यों न लें? इसका जवाब आपके बजट और प्राथमिकता में छिपा है। अगर आप एक भरोसेमंद, सस्ती और टिकाऊ कार चाहते हैं जो आपको अच्छे माइलेज के साथ रोजमर्रा की ड्राइव में साथ दे, तो Toyota आपके लिए बेस्ट है।
लेकिन अगर आप चाहते हैं कि कार में बैठे ही ऐसा लगे जैसे किसी 5-स्टार होटल में आ गए हों, अगर राइड में एक अलग शांति, आराम और क्लास चाहिए, तो Lexus आपके लिए है। इंजन चाहे एक हो, लेकिन फील और फिनिशिंग में Lexus Toyota से कहीं ऊपर निकल जाती है।
Toyota और Lexus का मुकाबला अब खुद से ही है
एक जमाना था जब लोग सोचते थे कि एक ही कंपनी की दो ब्रांड क्यों चलानी चाहिए, लेकिन Toyota ने साबित कर दिया कि ऐसा संभव है और दोनों ब्रांड अपने-अपने वर्ग में नंबर वन बन सकते हैं। आज Toyota की पहचान भरोसे और अफोर्डेबिलिटी के लिए है, वहीं Lexus की पहचान प्रीमियम लग्जरी और कंफर्ट के लिए है।
अब जब आपको पता चल गया है कि दोनों का दिल एक ही फैक्ट्री में धड़कता है, तो अगली बार जब कोई कहे कि Lexus में पैसे बरबाद मत करो, तो मुस्कुरा कर कहना – फर्क सिर्फ नजरिए का है, इंजन तो दोनों में एक जैसा है!
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