अगर आप Electric वाहन खरीदने का सोच रहे हैं तो जेब को थोड़ा और कस लीजिए। महाराष्ट्र में 1 जुलाई 2025 से Electric गाड़ियों की कीमतों में सीधा उछाल देखने को मिल रहा है। वजह है सरकार की नई नीति, जिसमें EV सब्सिडी में भारी कटौती कर दी गई है। इसका सीधा असर आम ग्राहकों पर पड़ा है, खासकर उन लोगों पर जो Electric स्कूटर या कार को सस्ता और पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प मानकर खरीदारी की सोच रहे थे।
Electric वाहन सब्सिडी में कटौती से बढ़ी परेशानियां
अब तक जो लोग Electric वाहन खरीदते थे, उन्हें राज्य सरकार की तरफ से सब्सिडी मिलती थी जिससे कीमत थोड़ी काबू में रहती थी। लेकिन अब सरकार ने FAME योजना और अपनी राज्य स्तरीय EV नीति में बदलाव करते हुए सब्सिडी का दायरा सीमित कर दिया है। इसके चलते Electric बाइक और Electric कार की कीमतों में ₹10,000 से ₹25,000 तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस बदलाव के बाद कंपनियों ने अपनी नई प्राइस लिस्ट जारी कर दी है, जिससे बाज़ार में हलचल मच गई है।
Electric स्कूटर और बाइक की कीमतों में झटका
पुणे जैसे शहरों में Electric स्कूटर युवाओं, नौकरीपेशा लोगों और महिलाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो गए थे। लेकिन अब Ather, Ola, TVS और Bajaj जैसी बड़ी कंपनियों ने अपने स्कूटर और बाइक की कीमतें बढ़ा दी हैं। Ola S1 और Ather 450 जैसे पॉपुलर मॉडल, जो पहले ₹1 लाख के अंदर मिल जाते थे, अब ₹1.10 लाख या उससे ऊपर के हो गए हैं। इससे उन ग्राहकों को बड़ा झटका लगा है जो सस्ती और फ्यूल-फ्री सवारी की तलाश में थे।
Electric कारों पर भी पड़ा असर, जेब हो गई ढीली
Electric कार खरीदने वालों को भी अब पहले से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। Tata की Nexon EV और Tiago EV, साथ ही MG की Comet EV जैसे मॉडल पहले से किफायती माने जाते थे, लेकिन अब इनकी कीमत में ₹20,000 से ₹30,000 तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। Pune जैसे शहरों में Nexon EV की ऑन-रोड कीमत अब ₹18 लाख के पार पहुंच गई है, जो पहले ₹17.5 लाख के करीब थी। इससे उन ग्राहकों के सपनों को झटका लगा है जो पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत की उम्मीद में EV का रुख कर रहे थे।
Electric वाहन खरीदने से पहले इन बातों पर दें ध्यान
अब Electric वाहन खरीदना सिर्फ रेंज और चार्जिंग टाइम के आधार पर नहीं किया जा सकता। ग्राहकों को यह देखना होगा कि सरकार की तरफ से कितनी सब्सिडी मिल रही है, गाड़ी की ऑन-रोड कीमत कितनी है और चार्जिंग का सिस्टम क्या है। Maharashtra के कई जिलों में स्थानीय निकाय की ओर से कुछ छूट अब भी मिल सकती है, लेकिन राज्य स्तरीय सब्सिडी में कटौती का असर व्यापक रूप से दिखाई देने लगा है। Pune, Nashik और Aurangabad जैसे शहरों में Electric वाहन की बिक्री जुलाई के पहले हफ्ते में धीमी पड़ गई है।
Electric गाड़ियों को लेकर ग्राहकों की सोच में बदलाव
पहले जहां लोग EV के नाम से ही बुकिंग करने भागते थे, अब वहीं लोग ज्यादा सतर्क हो गए हैं। EMI के अलावा अब वे चार्जिंग स्टेशन, बैटरी की गारंटी, सर्विस और रीसेल वैल्यू पर भी ध्यान दे रहे हैं। बहुत से ग्राहक अब Hybrid वाहनों की तरफ देख रहे हैं क्योंकि वहां पेट्रोल और बैटरी दोनों का विकल्प मिलता है। कंपनियों को भी अब यह समझ आ गया है कि सिर्फ एडवांस तकनीक ही नहीं, किफायती दाम भी ज़रूरी हैं।
चार्जिंग स्टेशन की कमी बनी बड़ी चिंता
Electric वाहन की कीमतें भले ही बढ़ गई हों, लेकिन चार्जिंग स्टेशन का हाल जस का तस है। खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में चार्जिंग स्टेशन ढूंढ़ना टेढ़ी खीर है। जब एक बार चार्ज खत्म हो जाए, तो फिर नजदीकी चार्जिंग पॉइंट तक पहुंचना भी चुनौती बन जाता है। इससे ग्राहकों की परेशानी और बढ़ गई है। अगर सरकार वाकई EV को बढ़ावा देना चाहती है, तो चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर तुरंत काम करना होगा।
Electric गाड़ी खरीदने से पहले दिमाग से काम लें
अब वो ज़माना चला गया जब लोग EV सिर्फ ट्रेंड देखकर खरीद लेते थे। अब समझदारी दिखाने की जरूरत है। Ola S1 हो या Nexon EV, EMI से लेकर ऑन-रोड कीमत और चार्जिंग तक हर पहलू को ध्यान में रखकर फैसला लें। कंपनियां जरूर नए ऑफर और स्कीम्स ला रही हैं, लेकिन ग्राहकों को खुद भी सवाल पूछने और सोच-समझकर कदम उठाने की ज़रूरत है। अगली बार जब आप किसी Electric शोरूम में जाएं, तो सिर्फ चमक-धमक में न उलझें — असली हिसाब-किताब खुद लगाइए!
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